इस टॉपिक में हम आज जंतु जगत का वर्गीकरण को अच्छे से समझेंगे और जंतु से संबंधित इतिहास को समझेंगे जंतु इतिहास के अंतर्गत हम यह जानते हैं कि सबसे पहले अरस्तू ने 340 ईसा पूर्व में जंतर इतिहास नामक किताब लिखी थी इसलिए अरस्तु को जंतु विज्ञान का जनक कहा जाता है और यह जानेंगे कि जंतु जगत का वर्गीकरण कैसे किया गया है और किन चरणों में उसका वर्गीकरण हुआ है तो चलिए शुरू करते हैं
जंतु जगत का वर्गीकरण क्या है( Taxonomy)
जूलॉजी की वह शाखा होती है जिसमें अलग-अलग प्रकार के जीव जंतुओं का नामकरण और क्लासिफिकेशंस किया गया है मतलब जीव जंतुओं को अलग-अलग समूहों में बांटा गया है मतलब जीव जंतु को अलग-अलग समूह में बांटा गया है
1735 इसी में कैरोलस लीनियस ने अपनी पुस्तक में सिस्तेमा सेंचुरी में 4000 से ज्यादा जीवो का वर्गीकरण किया है और इन्हें फादर ऑफ मॉडर्न टैक्सनॉमी कहा जाता है
प्राणी दो प्रकार के होते हैं
एक कोशिकीय प्राणी(unicelluer)
वे जीव होते हैं जो एक cell से बने होते हैं सभी एक कोशिकीय प्राणियों को 1 संघ समूह प्रोटोजोआ संघ में रखा गया है|
बहुकोशिकीय प्राणी(multicellular)
पोरिफेरा
- multiple cell से मिलकर बने होते हैं
- सभी बहुकोशिकीय प्राणियों को नव संघ समूह में रखा गया है
- पोरिफेरा
- सीलेंट्रेटा
- इकाइनोडर्मेटा
- प्लैटीहेल्मिंथीज़( चपटे क्रमी)
- एस्केलमिथीज
- ऐनेलिडा
- मोलस्का
- आर्थोपोडा
- कार्डेटा
पोरिफेरा
- यह खारे पानी में पाए जाते हैं
- इन्हीं जंतु के शरीर पर छिद्र होते हैं उन्हें आस्ट्रिया कहा जाता है और जल ऑक्सीजन भोजन इनके शरीर में पहुंचता
- इनका आकार अनियमित होता है
- एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति नहीं कर सकता
- संघ पोरिफेरा के जीवो को स्पंज कहा जाता है Example
- साइकन
- यूस्पंजिया
- स्पजिला
सीलेंट्रेटा संघ
- इसका नया नाम निदरिया भी है
- इस संघ के जंतु मुख्य रूप से समुद्री जल में पाए जाते हैं
- इन प्राणियों की संरचना धागे की तरह होती है और इन जंतुओं में रक्त नहीं होता फिर भी यह शोषण करते हैं
- इनमें स्वसन तंत्र उत्सर्जन तंत्र और परिसंचरण तंत्र सिस्टम कुछ भी नहीं पाया जाता
- ग्रेट बैरियर रीफ के बारे में आपने सुना होगा जो आस्ट्रेलिया के उत्तर पूर्व में स्थित है उसका निर्माण इन जंतुओं के द्वारा ही हुआ है यह जंतु कैलशियम कार्बोनेट को स्थापित करते हैं उसी से इसका निर्माण हुआ
- Example
- हाइड्रा
- ऑरेलिया- इसे ही जेलीफिश के नाम से जाना जाता
- मूंगा
इकाइनोडर्मेटा
- जंतु समुद्री होते हैं
- तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क विकसित नहीं होता
- पुनरुक्त उत्पादन की विशेष क्षमता होती है
- उनकी त्वचा पर की त्वचा पर कांटे पाए जाते हैं Example
- स्टार फिश
- समुद्री खीरा
- ब्रिटल स्टार
- Note- यह सभी जंतु मछलियां नहीं है
प्लैटीहेल्मिंथीज़
- इन सभी जीवो में आकार नाल नहीं होती है इसलिए यह सभी जीव दूसरों पर आश्रित होते हैं मतलब परजीवी होते हैं
- यह सभी जंतुओं का मनुष्य पालतू पशु और जंगली जंतुओं में आश्रय होता है और इन्हीं की सतह से अपने खाद्य पदार्थों का अवशोषण करते हैं Example
- प्लेनरिया
- फेसियोला
- टीनिया सोलियम- यह मनुष्य की आंत में पाया जाता है
एस्केलमेथीज
यह राउंड वाला गोल कृमि भी कहते हैं स्वतंत्र जीवी और परजीवी प्रकार के होते हैं मतलब इस समूह के कुछ जीव दूसरों पर आश्रित होते हैं और कुछ स्वतंत्र होते हे
Example -एस्केरिस थ्रेडवर्म
ऐनेलिडा
यह प्राणी जलीय के लिए भी हो सकते हैं स्थलीय भी हो सकते स्वतंत्र भी और परजीवी भी हो सकते हैं इनका शरीर खंड में बटा रहता है
Example - केचुआ, जोक
मोलस्का
- एनजीओ का शरीर मुलायम होने के कारण इन्हें मोलास्का का कहा जाता है
- इस संघ के मैक्सिमम जीव समुद्री होते हैं
- इन जिवो में श्वसन गिल्स किसके द्वारा होता ह Example
- ऑक्टोपस
- सीपीओ- इसे डेविल फिश कहते हैं
- घोघा
आर्थोपोडा
- सबसे बड़ा संग है
- पृथ्वी पर लगभग 2 बटा 3 तिहाई ही पाए जाते हैं
- इस संघ के जंतु जल थल और वायु तीनों जगह पर पाए जाते हैं
- एनजीओ का शरीर तीन भागों में बांटा है सिर वक्त उधर
- इसी आर्थोपोडा संघ में किट वर्ग भी शामिल है
- Example
- बिच्छू
- मकड़िया
- मधुमक्खी
- झींगा
- कॉकरोच
- केकड़ा
कार्डेटा
- यह संग काफी बड़ा व महत्वपूर्ण संग है
- कछुआ, मछली, सांप,तोता, चिता, मनुष्य ,बकरी, घोड़ा,हाथी, सब आते हैं
- कार्डेटा वर्ग के समझने के लिए इसे छोटे-छोटे वर्गों में बांटा गया है
- मत्स्य वर्ग
- उभयचर वर्ग
- सरीसृप वर्ग
- पंछी वर्ग
- स्तनधारी वर्ग
मत्स्य वर्ग
इसके अंतर्गत मछली आती है मछलियां श्वसन की प्रक्रिया जिसके द्वारा करती है
शार्क- शार्क में कोई भी हड्डी उपस्थित नहीं होती है इसे डॉग फिश के नाम से जाना जाता है
हिप्पोकेंपस- यह एक समुद्री मीन है जिस असमीन या समुद्री घोड़ा का जाता है विश्व की सबसे धीमी चलने वाली मछली है
Note- समुद्री घोड़ा एक मछली है जबकि समुद्री गाय समुद्री सिंह एक मेमल स्तनधारी है
गे बुचिया- गे बुचिया को मॉस्किटो फीस भी कहते हैं इसे तालाबों और को में छोटे से मच्छरों पर नियंत्रण किया जाता है
उभयचर वर्ग
ईश्वर के सदस्य जल और स्थल दोनों पर पाए जाते हैं इसलिए इनका नाम एंफीबिया दिया गया है
० इनके शरीर पर संघ और बाल और पंख नहीं होते पर इनकी त्वचा काफी चिकनी होती है इस वर्ग में आने वाले जीव त्वचा से सांस लेते हैं
3. सरीसृप वर्ग- यह शाम नेता स्थल वासी होते हैं पर इस वर्ग के कुछ जंतु जलवा सी भी होते हैं यह सभी जंतु अनियमिततापी होते हैं
Example
. कछुआ ,घरेलू छिपकली, अजगर ,मगरमच्छ ,एलीगेटर
पक्षी वर्ग
० इस वर्ग के अंतर्गत हवा में उड़ने के साथ-साथ जमीन पर तेजी से चलने वाले पक्षी प्राणी होते हैं
० इस वर्ग के जंतुओं नियत तापी होते हैं इनका शरीर तीन भागों में विभाजित होता है सिर गर्दन और धड़
० ऑस्टरिच एक दौड़ने वाला बहुत बड़ा पक्षी है जिसे शुतुरमुर्ग के नाम से जाना जाता
० कीवी भी एक दौड़ने वाला पक्षी है जो न्यूजीलैंड में पाया जाता है इसका वैज्ञानिक नाम ऐप ट्रिक्स है
० सुधर में पृथ्वी पर सबसे बड़ा जीवित पक्षी है जबकि हमिंग बर्ड गुंजन पक्षी सबसे छोटा पक्षी
स्तनधारी वर्ग
० इस वर्ग के सभी प्राणी अधिक विकसित हुआ समतापी होते हैं
० यूथीरिया यह सभी जंतु पूर्ण विकसित बच्चों को जन्म देते हैं
Example
. सबसे बड़ा स्तनधारी ब्लू व्हेल
. सबसे छोटा स्मॉल माउस चूहा
conclusion:- मुझे उम्मीद है कि आपको यह टॉपिक बहुत पसंद आया होगा और आपके जंतु जगत से रिलेटेड जितने भी माइंड में सवाल होंगे उन्हें आपने यहां का पूरा पाया होगा अगर आप इसी तरह से सारे टॉपिक चाहते हो तो कमेंट करके अपनी राय व्यक्त करें और इस टॉपिक में कोई त्रुटि हो तो समझा इस दे अगर आपको यह टॉपिक वाकई में अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें|
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