पंडित जवाहरलाल नेहरू
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।
जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
इनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू प्रसिद्ध बैरिस्टर व समाजसेवी थे।
नेहरु जी ने देश विदेश के प्रसिद्ध विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की।
इन्होंने हैरो से स्कूल की प्रारम्भिक शिक्षा एवं ट्रिनिटी कॉलेज
लन्दन से लॉ की शिक्षा प्राप्त की ।
इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा किया ।
इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था ,बच्चे इन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर सम्बोधित करते थे।
इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में 14 नवम्बर को मनाया जाता है ।
1955 में नेहरु जी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया ।
राजनीतिक जीवन
1912 में भारत लौटने के बाद वे प्रत्यक्ष रूप से राजनीति से जुड़ गए।
इसके बाद ये महात्मा गांधी जी से मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए।
1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।
पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए।
इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमे ‘पूर्ण स्वराज्य’ की मांग की गई और 26 जनवरी, 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का ध्वज फहराया।
7 अगस्त, 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
8 अगस्त, 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया गया ।
भारत की स्वतंत्रता के लिए इन्होंने इसी क्रम में राजनीतिक दृष्टिकोण को अनवरत रूप से जारी रखा और अंततः भारत की स्वाधीनता के स्वपन्न को अपनी आँखों से देखते हुए अपना संपूर्ण जीवन स्वतन्त्र भारत के राजनीतिक संकट को दूर करते हुए पंचतत्व में विलीन हो गए ।
नेहरु जी की 27 मई, 1964 को हृदय गति के अवरुद्ध हो जाने से ‘स्वर्गवास’ हो गया। उनकी मृत्यु भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी।
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